गुरुवार, 13 मई 2010

आचार्य का निधन संपूर्ण विश्व के लिए क्षति- मुख्यमंत्री

पंचतत्व में विलीन हुई महाप्रज्ञ की पार्थिव देह, पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम, मुख्यमंत्री गहलोत, केंद्रीय मंत्री सीपी जोशी ने दी श्रद्धांजल
चूरू, 10 मई। जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के दसवें आचार्य और अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य महाप्रज्ञ का अंतिम संस्कार सोमवार को जिले के सरदारशहर कस्बे में कर दिया गया। इस मौके पर मौजूद हजारों श्रद्धालुओं ने उनको अश्रुपूर्ण आंखों से भावभीनी विदाई दी।
सोमवार दोपहर साढे तीन बजे श्रीसमवसरण से शुरू हुई उनकी महाप्रयाण यात्रा में हजारों श्रद्धालु शामिल हुए। आचार्य को अंतिम प्रणाम के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड पडा। आचार्य महाप्रज्ञ का निधन रविवार दोपहर करीब तीन बजे हो गया था।
सोमवार को अंतिम संस्कार से पूर्व श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ उनकी देह को सरदारशहर के श्रीसमवसरण में रखा गया, जहां हजारों देशभर से आए हजारों श्रद्धालुओं ने उनके अंतिम दर्शन कर श्रद्धांजलि अर्पित की। आचार्य के दर्शनार्थ दिनभर लोगों का तांता लगा रहा। राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने शोक संदेश प्रेषित कर आचार्य महाप्रज्ञ के निधन को संपूर्ण मानवता के लिए अपूरणीय क्षति बताया है।
सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अदुल कलाम, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री सीपी जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, केंद्रीय सडक परिवहन राज्य मंत्री महादेव सिंह खंंडेला, प्रदेश के गृह मंत्री शांति धारीवाल, शिक्षा मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल, कृषि विपणन राज्य मंत्री गुरमीत सिंह कुन्नर, सार्वजनिक निर्माण विभाग मंत्री प्रमोद जैन भाया, सांसद नरेंद्र सिंह बुढानिया, विधायक राजेंद्र राठौड, सांसद रामसिंह कस्वां, पूर्व मंत्री भंवरलाल शर्मा, बीकानेर जिला प्रमुख रामेश्वर डूडी, संभागीय आयुक्त प्रीतम सिंह, सहित बडी संख्या में विशिष्ट व्यक्तियों ने श्री समवसरण पहुंचकर आचार्य महाप्रज्ञ के अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए।
मुख्यमंत्री गहलोत करीब 3.20 बजे श्रीसमवसरण पहुंचे और आचार्य महाप्रज्ञ की पार्थिव देह पर पुष्प अर्पित किए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आचार्य के निधन से हमने एक महान राष्ट्रसंत खो दिया है। उन्होंने आचार्य के निधन को समूचे विश्व के लिए अपूरणीय क्षति बताते हुए कहा कि आचार्य के आदर्श सदैव मानवता का मार्गदर्शन करते रहेंगे।
गहलोत ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ ने सरलता, सहजता व सादगी के साथ मानवीय, आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक मूल्यों के संवाहक के रूप में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दुनिया को सद्मार्ग दिखाया। उन्होंने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ ने अहिंसा के सिद्धान्त के प्रचार-प्रसार के लिये अहिंसा यात्राएं कर हिंसा के खिलाफ वातावरण बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। देश में आजादी के बाद इस प्रकार के लक्ष्य को लेकर यात्राओं केे माध्यम से अहिंसा और अणुव्रत का संदेश पहुंचाने में वे अग्रणी रहे।
आचार्य महाप्रज्ञ के अंतिम दर्शनों के लिए देशभर से उमडे श्रद्धालुओं की भीड के मध्येनजर जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षा एवं व्यवस्था के पुख्ता इंतजात किए गए। जिला कलटर डॉ के के पाठक, जिला पुलिस अधीक्षक निसार अहमद और एडीएम बी एल मेहरडा पूरे समय उपस्थित रहे और संपूर्ण व्यवस्थाओं पर नियंत्रण बनाए रखा। बडी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए और जगह-जगह कैमरे लगाकर व्यवस्था पर नजर रखी गई।
आचार्य महाप्रज्ञ की अंतिम यात्रा श्री समवसरण से शुरू होकर मुख्य बाजार, गांधी विद्या मंदिर से मेगा हाइवे के पास से गुजरते हुए ईच्छापूर्ण मंदिर के पास बच्छावत परिवार के फार्म हाऊस के पास पहुंची, जहां समाज की रीति-नीति के अनुसार उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
इस दौरान आचार्य महाप्रज्ञ के उत्तराधिकारी आचार्य महाश्रमण, श्वेतांबर तेरापंथ सभा के अध्यक्ष अशोक नाहटा, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष रावतमल सैनी, मूलचंद विकास कुमार मालू, सुमति चंद जैन, संदीप आंचलिया, कमल बच्छावत, एएसपी अनिल कयाल, एसडीएम लोकेश सहल, तहसीलदार बाघदान चारण सहित बडी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।

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