सोमवार, 24 मई 2010

उत्पीड़ित व निराश्रित महिलाओं को मिले इंसाफ

चूरू, 17 मई। उत्पीड़ित और निराश्रित महिलाओं की सहायता से तात्पर्य महज उनकी आर्थिक सहायता से ही नहीं है, अपितु उनकी वास्तविक सहायता तो उन्हें न्याय दिलाने में है।
जिला कलक्ट्रेट सभाकक्ष में सोमवार को आयोजित जिला स्तरीय महिला सहायता समिति की बैठक में यह राय उभर कर आई। बैठक में समिति सदस्यों व अधिकारियों को संबोधित करते हुए अतिरिक्त कलक्टर बी एल मेहरड़ा ने कहा कि समिति में दर्ज प्रकरणों का तत्परता से निस्तारण हो तथा महिलाओं को वास्तव में राहत मिले, तभी इस समिति की सार्थकता है। उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग की उपनिदेशक को निर्देशित किया कि वे मौके पर जाकर प्रकरणों की स्वतंत्र जांच करें और पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाएं। उन्होंने सभी प्रकरणों में जांच रिपोर्ट एक सप्ताह में पेश करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार के उत्पीड़न को रोकने के लिए जागरुकता सबसे अधिक आवश्यक है और लोगों को मालूम होना चाहिए कि महिला सहायता समिति कौनसे मामलों में तथा किस प्रकार सहायता करती है। इस संबंध में प्रचार सामग्री तैयार कर आंगनबाड़ी केंद्रों में भिजवाएं तथा गल्र्स कॉलेज जैसे स्थानों पर इसके प्रचार के लिए कार्यक्रम आयोजित करें। उन्होंने संबंधित पक्षों को बैठक में बुलाने के भी निर्देश दिए ताकि सभी पक्षों की पर्याप्त सुनवाई हो सके। उन्होंने ब्लॉक स्तरीय महिला सहायता समितियों को भी सक्रिय करने के निर्देश दिए। बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग की उपनिदेशक, सीडीपीओ चूरू (ग्रामीण) दीपक कपिला, सविता राठी सहित संबंधित सदस्य व अधिकारी मौजूद थे।
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